घरेलू हिंसा (Domestic Violence) एक गंभीर सामाजिक और कानूनी समस्या है जो शारीरिक, मानसिक, यौन, भावनात्मक और आर्थिक शोषण के रूप में प्रकट हो सकती है। भारत में **घरेलू हिंसा अधिनियम, 2005** (Protection of Women from Domestic Violence Act, 2005) महिलाओं को उनके अधिकारों की रक्षा करने और उन्हें न्याय दिलाने के लिए लागू किया गया था।
📌 घरेलू हिंसा क्या है?
घरेलू हिंसा किसी भी प्रकार के शारीरिक, मानसिक, यौन, भावनात्मक या आर्थिक शोषण को संदर्भित करती है जो एक करीबी रिश्ते में किसी व्यक्ति के खिलाफ किया जाता है। यह हिंसा पति-पत्नी, माता-पिता और बच्चों, या किसी अन्य घरेलू सदस्य के बीच हो सकती है।
📌 घरेलू हिंसा के प्रकार
- शारीरिक हिंसा: मारपीट, जलाना, चोट पहुँचाना, जान से मारने की धमकी देना।
- मानसिक हिंसा: अपमान करना, गाली देना, धमकाना, आत्मसम्मान को ठेस पहुँचाना।
- यौन हिंसा: जबरदस्ती यौन संबंध बनाना, अवैध रूप से स्पर्श करना।
- आर्थिक हिंसा: पैसे न देना, संपत्ति पर अधिकार न देना, जबरदस्ती कमाई छीनना।
- भावनात्मक हिंसा: धमकाना, अपमान करना, अलगाव में रखना।
📌 घरेलू हिंसा के खिलाफ कानूनी अधिकार
भारत में **घरेलू हिंसा अधिनियम, 2005** के तहत महिलाओं को विशेष अधिकार दिए गए हैं:
- सुरक्षा का अधिकार: पीड़ित महिला अदालत से सुरक्षा आदेश (Protection Order) प्राप्त कर सकती है।
- निवास का अधिकार: महिला को अपने पति या परिवार के घर में रहने का कानूनी अधिकार है।
- मुआवजे का अधिकार: महिला मुआवजे के लिए अदालत में दावा कर सकती है।
- मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य सहायता: पीड़ित को मुफ्त कानूनी और मानसिक परामर्श की सुविधा मिलती है।
📌 घरेलू हिंसा की शिकायत कैसे करें?
- पुलिस से संपर्क करें: 100 या 1091 (महिला हेल्पलाइन) पर कॉल करें।
- महिला आयोग से संपर्क करें: राष्ट्रीय महिला आयोग (NCW) को शिकायत करें।
- न्यायालय में याचिका दायर करें: घरेलू हिंसा अधिनियम के तहत मजिस्ट्रेट कोर्ट में केस दर्ज करें।
- NGO और सहायता केंद्रों से संपर्क करें: जैसे **सखी वन-स्टॉप सेंटर** और **महिला हेल्पलाइन**।
📌 घरेलू हिंसा से बचने के उपाय
- आर्थिक रूप से स्वतंत्र बनें।
- अपनी सुरक्षा को प्राथमिकता दें और भरोसेमंद लोगों से मदद मांगें।
- किसी भी प्रकार की हिंसा को न सहें, तुरंत शिकायत दर्ज कराएँ।
- मनोवैज्ञानिक सहायता प्राप्त करें।
📌 कानूनी सहायता के लिए कहाँ संपर्क करें?
- राष्ट्रीय महिला आयोग (NCW): ncw.nic.in
- राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (NALSA): nalsa.gov.in
- स्थानीय महिला हेल्पलाइन: 1091
📌 निष्कर्ष
घरेलू हिंसा न केवल एक सामाजिक बुराई है बल्कि एक कानूनी अपराध भी है। यदि आपको या किसी और को घरेलू हिंसा का सामना करना पड़ रहा है, तो चुप न रहें। अपने कानूनी अधिकारों का उपयोग करें और सही कदम उठाएँ।